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जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"

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Saturday 29 November 2014

तनहा रात



ना लिखने को कोई बात है,


ना उभरे कोई जज्बात हैं,

बस मै हूँ ..सिर्फ मै

और ये तनहा रात है


ना तारें हैं टिमटिमाने को 

ना चाँद है गुनगुनाने को 

बस स्याह अकेली रात है 

मन मेरा बहलाने को 

ना होठों पर है हंसी

ना आंसुओ की सौगात है 

बस मै हूँ ..सिर्फ मै 

और ये तनहा रात है 


ना स्याही है कलम में,

आक्रोश के शब्द बहाने को

ज़ज्ब कर गया कोरा कागज़ ,

दिल के सारे फसानो को

ना ख़ुशी से कोई उमंग ,

ना गमो का एहसास है ..

बस मै हूँ ..सिर्फ मै

और ये तनहा रात है 


                                                                                      -----पारुल'पंखुरी'
                                                                                picture courtesy : google 
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