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जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"

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Monday 29 September 2014

किरचें













साल दर साल 


गुजरते रहे 

परत दर परत 

चढ़ती गयी 

मुस्कान |

खरीदती रही 

भावनाओं का 

सौदा करके,
 
खुशियां 

ढूंढती रही 

अरमानों को 

सिल के |

आँखों ने 

एक नया 

सपना 

देखने की 

जुर्रत कर दी 

तभी 

आंसू 

की जगह 

खून बह निकला 

टूटे सपनों की 

किरचें 

अब तक धंसी 

जो हैं आँखों में

---------------पारुल'पंखुरी'

चित्र -- साभार गूगल 

3 comments:

  1. टूटे सपनों की किरचें ... धंसी रहती हैं लम्बे समय तक ...
    गहरी रचना ...

    ReplyDelete
  2. शरीर मे धसे किरचे अक्सर लंबे समय तक परेशान करते हैं॥

    ReplyDelete

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