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जिंदगी का हर दिन ईश्वर की डायरी का एक पन्ना है..तरह-तरह के रंग बिखरते हैं इसपे..कभी लाल..पीले..हरे तो कभी काले सफ़ेद...और हर रंग से बन जाती है कविता..कभी खुशियों से झिलमिलाती है कविता ..कभी उमंगो से लहलहाती है..तो कभी उदासी और खालीपन के सारे किस्से बयां कर देती है कविता.. ..हाँ कविता.--मेरे एहसास और जज्बात की कहानी..तो मेरी जिंदगी के हर रंग से रूबरू होने के लिए पढ़ लीजिये ये पंखुरी की "ओस की बूँद"

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Tuesday 11 December 2012

काश!!










काश!! तुम होते .....

तो कुछ और बात होती....

यूँ तो हर तरफ है हसीन नजारें..

नहाती हैं रातें चांदनी से ...

नाचते भागते आसमा में तारे....

जुगनू ज्यो अठखेलियाँ हो करते....

लगता है आसमा को उड़ा ले जायेंगे....

ख्वाबो की डोर से आसमा के सिरों को.....

बांधता मन अपनी मुट्ठियों में .....

तब चेहरे पे आती एक अनोखी मुस्कान.....

अनायास आ जाता तुम्हारा ध्यान ....

काश! तुम यहाँ होते ......

तो कुछ और बात होती ........

सुबह का आलम कुछ होता है ऐसा...

अंगडाई लिए मै कसमसाती सी उठती....

आँखों के जुगनू अभी ठीक से भी न थे जगमगाए....

खिड़की से आती धूप मुझको खुद ही नहलाये ....

गुनगुने पानी में फूल मोघरे के .....

हथेलियों के पानी में तू नजर आये.....

पानी की बूंदे जब टपकती बालो से...

भीगे चुनर मोहे सर्दी सताए ...

मन मेरा फिर यही दोहराए...

काश!! तुम यहाँ होते ...

तो कुछ और बात होती.....


---------------------------------------पारुल 'पंखुरी'




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